आज भारती का स्वर में फिर,गूंज उठा यह नारा |
वीर शहीदों की जागृति ने, तरुणों को ललकारा ||
निज समाधि से वीर शहीदों, ने यह आवाज लगायी |
आपसी दुर्भाव छोड़ दो,हिन्दू,मुस्लिम,सिक्ख,इसाई ||
मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे सब, जो कुछ तूने बनाई |
गीता और गुरूग्रन्थ , बाइबिल, सबने यही सुनाई||
परमात्मा बस एक ,एक हो मानव जग में सारा |
आज भारती का स्वर में, फिर गूंज उठा यह नारा||
राष्ट्र एक है ,धर्म एक हो, स्वर में एक पुकारो |
सब धर्मो से उच्च है, मानव धर्म इसे अपना लो||
ऊँच नीच का भेद छोड़कर, निर्बल के प्राण उबारो|
सत्य, अहिंसा और शांति के, पथ को सदा संवारो ||
कहलायेगा देश तभी तो, विश्वभूमि पर न्यारा |
आज भारती का स्वर में,फिर गूंज उठा यह नारा ||
इच्छा-स्वातंत्र्य सदा,जन्मसिद्ध अधिकार तुम्हारा |
अत्याचार दमन करने को,उठा लो अब अस्त्र दुधारा ||
बता दो आजादी की खातिर,छोड़ दिया जग प्यारा |
आज यही संकल्प सुनाकर, सजग बनो दोबारा ||
आजादी के शक्ति सूत्र का, संबल रहे तिरंगा प्यारा |
आज भारती का स्वर में, फिर गूंज उठा यह नारा ||
दुर्लभ तन मानव का पाकर, भारत पुत्र कहलाये |
मिटटी में इसके ही तुम तो, सोना भी उपजाए ||
याद करो उन बलिदानी को, जो थे खून बहाए |
मतिभूमि की बलिवेदी पर,ऐसी ज्योति जलाये ||
आज उन्ही के पदचिह्नों ने, तुमको किया इशारा |
आज भारती का स्वर में, फिर गूंज उठा यह नारा ||
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