हे सुरसरिते तुझको प्रणाम|
हे सुरसरिते तुझको प्रणाम ||
सर्वोच्च हिमालय प्रसव -भूमि;
बहती हो समेटकर नीरवता;
जग वितरण की लेकर फेरी /
युग- युग से देती अभयदान |
हे सुरसरिते तुझको प्रणाम ||
तुम रजत तरंगो की माला |
धारण कर क्रीडा करती हो ||
विश्राम स्थल से दूर कही |
मधुमय प्रवाह सी बहती हो||
तू जनमानस की पुन्य धाम |
हे सुरसरिते तुझको प्रणाम ||
संध्या की शांति सुलभ वेला
है छवि से अनुमोदित होती
तेरी पावनतम धारा में ही
रजनी निज पाप कलुष धोती
तेरे सहस्त्र अनुपम ललाम |
हे सुरसरिते तुझको प्रणाम ||
भक्तो के मन की श्रद्धा से,
अब पूजित चरण-कमल तेरे |
करती जब कल कल धाराये,
आशीष लुटाती हैं भंवर तेरे ||
यशगीत सुनाते स्मृति पुराण |
हे सुरसरिते तुझको प्रणाम ||
है सहज समर्पित मेरी भी
श्रद्धा को पावन कर दीजे
अपनी धारा की एक लड़ी
इस शुष्क ह्रदय में भर दीजे
तू वन्दनीय हो आ - प्रयाण
हे सुरसरिते ' तुझको प्रणाम
तुम रजत तरंगो की माला |
धारण कर क्रीडा करती हो ||
विश्राम स्थल से दूर कही |
मधुमय प्रवाह सी बहती हो||
तू जनमानस की पुन्य धाम |
हे सुरसरिते तुझको प्रणाम ||
संध्या की शांति सुलभ वेला
है छवि से अनुमोदित होती
तेरी पावनतम धारा में ही
रजनी निज पाप कलुष धोती
तेरे सहस्त्र अनुपम ललाम |
हे सुरसरिते तुझको प्रणाम ||
भक्तो के मन की श्रद्धा से,
अब पूजित चरण-कमल तेरे |
करती जब कल कल धाराये,
आशीष लुटाती हैं भंवर तेरे ||
यशगीत सुनाते स्मृति पुराण |
हे सुरसरिते तुझको प्रणाम ||
है सहज समर्पित मेरी भी
श्रद्धा को पावन कर दीजे
अपनी धारा की एक लड़ी
इस शुष्क ह्रदय में भर दीजे
तू वन्दनीय हो आ - प्रयाण
हे सुरसरिते ' तुझको प्रणाम
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