गुजरते गुजरते गुजर जायेंगे दिन,
अगर पास होते तो बात और होती|
जिन्दगी तो सभी जीते हैं उम्र भर,
कोई हंसता हुआ व कोई रोता हुआ|
मौत से जिन्दगी का सफर एक सा,
पाते हैं लोग अपना ही खोया हुआ ||
बनाते बनाते महल स्वप्न का एक,
बिगाड़े ना होते तो बात और होती|
गुजरते गुजरते गुजर जायेंगे दिन,
अगर पास होते तो बात और होती|| सुबह और शाम रातें बियाबान सी ,
रगों में जहर ही जहर घोलती हैं|
कोई गीत ओठों पर आता नहीं है,
ये तनहाई ना जाने क्या पूंछती है||
संभलते संभलते संभल जायेंगे पग,
सहारा जो देते तो बात और होती|
गुजरते गुजरते गुजर जायेंगे दिन,
अगर पास होते तो बात और होती|| गुजरते हैं वे क्षण तेरी याद में जो,
जिन्दगी के मेरे वही हमसफर हैं|
दिखाते हैं कुछ चित्र बिसरे हुए वे ,
बनाते हैं सपनों के कोई महल हैं||
पिघलते पिघलते मेरी वेदनाएं,
तुझे भी डुबोती तो बात और होती|
सुनाते सुनाते खत्म दास्ताँ अब,
तुम सुनते होते तो बात और होती ||
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