गुरुवार, 30 जून 2011

तुम्हारे बिना

गुजरते गुजरते गुजर जायेंगे दिन,
अगर पास होते तो बात और होती|

             जिन्दगी तो सभी जीते हैं उम्र  भर,
             कोई हंसता हुआ व कोई रोता हुआ|
             मौत से जिन्दगी का सफर एक सा,
             पाते हैं लोग अपना ही खोया हुआ ||

बनाते बनाते महल स्वप्न का एक,
बिगाड़े ना होते तो बात और होती|
गुजरते गुजरते गुजर जायेंगे दिन,
अगर पास होते तो बात और होती||


               सुबह और शाम रातें बियाबान सी ,
               रगों में जहर  ही  जहर  घोलती हैं|
               कोई गीत ओठों पर आता नहीं  है,
               ये तनहाई ना जाने क्या पूंछती है||

संभलते संभलते संभल जायेंगे पग,
सहारा जो देते तो बात और  होती|
गुजरते गुजरते गुजर जायेंगे दिन,
अगर पास होते तो बात और होती||


                      गुजरते हैं वे क्षण तेरी याद में जो, 
                      जिन्दगी के मेरे वही हमसफर हैं|
                      दिखाते हैं कुछ चित्र बिसरे हुए वे ,
                      बनाते हैं सपनों के कोई  महल हैं||

पिघलते  पिघलते   मेरी  वेदनाएं,
तुझे भी डुबोती तो बात और होती|
सुनाते  सुनाते  खत्म दास्ताँ अब, 
तुम सुनते होते तो बात और होती ||

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