मुहब्बत को इतना, मुहब्बत करो तो ,
नफरत को नफरत, करनी ही पड़ेगी।
सफर जिन्दगी का, सुहाना बनाकर ,
नफरत को फिर से ,मुहब्बत मिलेगी।
मुहब्बत की लय में इक, गहराईयां हैं ,
और नफरत में केवल, तनहाईयाँ हैं।
प्रेम के भाव में इस, कदर डूब जाएँ ,
हो जाये रोशन खुद,खुदा की खुदाई।
आओ मुहब्बत को, गले से लगाकर,
मुहब्बत से नफरत, की कर दें जुदाई।
नफरत को नफरत, करनी ही पड़ेगी।
सफर जिन्दगी का, सुहाना बनाकर ,
नफरत को फिर से ,मुहब्बत मिलेगी।
मुहब्बत की लय में इक, गहराईयां हैं ,
और नफरत में केवल, तनहाईयाँ हैं।
प्रेम के भाव में इस, कदर डूब जाएँ ,
हो जाये रोशन खुद,खुदा की खुदाई।
आओ मुहब्बत को, गले से लगाकर,
मुहब्बत से नफरत, की कर दें जुदाई।