गाये सदा तेरे ही गीत को मन |
मेरे गीत को ऐसी संगीत दे दो ||
स्वरों में मधुर गीत ऐसे ढलेंगे |
जैसे शहनाई पर तैरती हो गजल |
चन्द्र की चांदनी से लिपटी हुई
रात की रानी जैसे जाये मचल ||
उड़े ना कहीं खुशबू इस फूल की|
स्वर को मेरे गीत सा मीत दे दो ||
गाये सदा तेरे ही गीत को मन |
मेरे गीत को ऐसी संगीत दे दो ||
उभरती रहे संगीत मन में मेरे |
रात भर करवटें ले जगाता रहूँ ||
गर्मी बरसात हो या तूफ़ान हो |
हँसता हुआ गम के ओले सहूँ ||
हर कदम पर जो सपने साकार हों |
प्रीति में मेरे ऐसी नयी रीति दे दो ||
गाये सदा तेरे ही गीत को मन |
मेरे गीत को ऐसी संगीत दे दो ||
शायद मेरी मंजिलें उनमें ही हों |
खोना न चाहूं इस नियति को ||
आभास मिलता हर क्षण यही |
पीता कोई मेरे मन के उदधि को ||
जलती रहे लव सदा एक गति से |
बुझे दीप में तू रौशनी ऐसी दे दो ||
गाये सदा तेरे ही गीत को मन |
मेरे गीत को ऐसी संगीत दे दो ||
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