नील गगन में दूर दूर तक,
चमक रहे झिलमिल तारे |
मध्य उन्ही के चन्दामामा,
रहते हम सबके प्यारे ||१||
मामा कहकर हाथ हिलाते ,
बच्चे खुश होकर नाच रहे |
धरती के सब सुख भूले हैं,
वे चन्द्र खिलौना मांग रहे||२||
कभी कभी मामा खुश होकर ,
उन तारों से कुछ कहते हैं |
जा करके धरती पर देखो,
वहाँ बच्चे कैसे रहते हैं ||३||
झटपट तारे दौड़ लगाकर ,
बच्चों की दुनियां में आते|
संग में काफी दूध बताशे,
बच्चों की खातिर ले आते||४|
|बच्चे खुश होकर चिल्लाते,
इधर से टूटा है इक तारा |
कहते माँ तुम भी तो देखो,
लगता है कितना प्यारा||५||
आसमान से उतर रही है ,
ज्यों श्वेत चांदनी की धारा |
मन को बरबस खीँच रहा,
चन्द्र प्रभा -मंडल सारा ||६||
उधर चकोर एकटक होकर,
वह कब से हाथ पसारे है |
इधर दुधमुंहों की ममता ने
अनगिनत दृश्य संवारे हैं ||७||
शीतल चन्द्र- किरण आकर,
शिशुओं को निद्रा ले आती |
मधुर मधुर सपनों में परियां,
नभ से धरती पर आ जाती ||८||
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