जल,थल,नभ में गूँज रहा है,महाविजय का नव उन्मेष |
शान्ति-मार्ग पर सदा अग्रसर, रहा विश्व में भारत देश ||
महावीर, गाँधी, गौतम का भी, यही रहा जीवन आधार |
सत्य अहिसा मैत्री से ही, सदा विजय पायी साधिकार ||
आदि सनातन संस्कृति अपनी, पहुंचाये सागर के पार |
प्रबल कसौटी पर तब इसका,हुआ परीक्षण सौ-सौ बार ||
सुना रहे हम गाथा उसकी, ही जो है कालजयी अवशेष |
शान्ति-मार्ग पर सदा अग्रसर, रहा विश्व में भारत देश ||
जूझ रही मानवता का, अनवरत इसने किया आहवान |
युद्धास्त्रों की होड़ त्यागकर, कूटनीति का किया अवसान||
नक्षत्रीय शस्त्र अतिमारक, यह मानव मन का अभिमान |
सागर में सैनिक अड्डों की, होड़ सदा त्रासद अभियान||
मानवता पर छाया देखा,जब कलुषित छद्म युद्ध का वेश |
शान्ति-मार्ग पर सदा अग्रसर, रहा विश्व में भारत देश ||
युगों युगों से विश्व बन्धुत्व-भाव, मैत्री संदेश सुनाता है |
दृढ- विश्वास व एकता का, अनुभव अपना बतलाता है||
जन- जन की रक्षा में अपनी, प्रबल- शक्ति दिखलाता है |
सदाशयी समभाव जगाकर, वह प्रेम- पंथ दिखलाता है||
शक्ति- संतुलन का नारा देकर, सदा सुनाता नव-संदेश |
शान्ति-मार्ग पर सदा अग्रसर, रहा विश्व में भारत देश ||
किन्तु शत्रुओं ने जब भी आगे आ,भारत को ललकारा है |
निज स्वाभिमान हित लड़ने को, इन वीरों ने हुंकारा है ||
भाषा ,भाव,जाति सब मिलकर, दिये एकता का नारा है |
आदिकाल से इस धरती पर,मानव को मानव ही प्यारा है ||
अमर रहेगा अखिल विश्व में, गीता का अनुपम संदेश |
शान्ति-मार्ग पर सदा अग्रसर, रहा विश्व में भारत देश ||
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