हम वही है जो वतन, आजाद करने को मिटे थे |
देश से अंग्रेज शासक, को भगाकर दम लिए थे ||
आज हिंदी -दुर्दशा पर, फिर वही संकल्प लेंगे |
हम हैं हिदुस्तान के, हिंदी से ही जुडकर रहेंगे ||
हम तिलक की घोषणा को, एक नया आयाम देंगे|
स्वतंत्रता की भावना को,हिंदी का ही अनुदान देंगे ||
जाल में अंग्रेजियत के, हम बहुत दिन तक फंसे थे |
सौभाग्य से अब मुक्त हैं, छाया भी उनकी ना सहेंगे ||
एक स्वर से जिस तरह, आजाद भारत को किया है |
अब हिंदी को भी आजाद ,करने का वही व्रत लिया है ||
टिक नहीं सकती कोई भी,लिपि इसके सामने|
हर कोई आगे खड़ा है ,अब हाथ इसका थामने ||
हिंदी की गोद में सब,संस्कृति अब तक पली हैं |
वह विश्व भर में एकता की,भावना लेकर बढ़ी हैं ||
वसुधैव कुटुम्बकम सूत्र को,हिंदी से है अब जोड़ना |
जो दासता की श्रृंखला थी,हितकर उसे अब तोडना ||
शक्ति हम रखते वही हैं, पहचान लो हिंदी के दुश्मन |
राष्ट्र-भाषा के लिए तो ,कुर्बान कर सकते हैं जीवन ||
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