बुधवार, 30 अक्तूबर 2013

ज्योतिर्मय


       ऐसा भी एक दीप जलाएं, ज्योतिर्मय भारत हो जाये। 
          जनमन में तरुणाई जागे , 
       अन्धकार धरती से  भागे।
      फुलझड़ियों के प्रकाश से,
       आह्लादों की सीमा लांघे।
                घर घर खुशियां श्रृंगार करें ,ऐसी शुभ वेला ले आयें । 
               ऐसा भी एक दीप जलाएं, ज्योतिर्मय भारत हो जाए ।

            जाति, धर्म से ऊपर उठकर ,
                  ज्योति-सृजन को गले लगाएं। 
            अन्तर्मन के निज प्रकाश में ,
           राष्ट्र -धर्म का पाठ  पढ़ाएं ।
 झिलमिल दीपों की  ऊर्जा से,एक नया संगीत बनाएँ । 
  ऐसा भी एक दीप जलाएं ,ज्योतिर्मय भारत हो जाये। 

एक दीप अन्तर्मन  में भी ,
   जला सकें तो हितकर होगा। 
   भ्रष्टाचार ,द्वेष ,अनीति को ,
     समूल मिटाने का प्रण  होगा ।

साहचर्य भाव के ज्योति पुंज को ,ऊपर सदा उठायें।
 ऐसा भी एक दीप जलाएं,ज्योतिर्मय भारत हो जाये।
  
 अपने लक्ष्यों की  पूर्ति  हेतु ,
सद्पथ का अनुसरण करें। 
 साहचर्य भाव के संबल से ,
     उन्नति का मार्ग प्रशस्त करें।

 माँ लक्ष्मी का आह्वान करें,चरणों में श्रद्धा-पुष्प चढ़ाएं। 
 ऐसा भी एक दीप जलाएं , ज्योतिर्मय भारत हो जाये।