मार्ग कितना भी कठिन हो, तुम सदा आगे बढ़ो |
यत्न से कुछ तो मिलेगा, बस राहपर चलते रहो ||
सूर्य की किरणे छिपाए हैं, असीमित ताप जैसे |
भूगर्भ में अब तक पड़े हैं ,अनगिनत भूतत्व जैसे||
शब्द की अभिव्यंजना में, अर्थ का विन्यास जैसे |
वास्तविकता में छिपे कुछ, आदर्श के प्रतिमान वैसे ||
ज्ञान गुण की राशि का ऐसे ही तुम संग्रह करो |
यत्न से कुछ तो मिलेगा बस राह पर चलते रहो |\
पक्ष जीवन के बहुत से, जिन्दगी में छूटते हैं |
बहुत से सम्बन्ध बन, करके यंही पर टूटते हैं ||
सुख दुःख आशा निराशा,सब यंही पर छूटते हैं |
भावनाओं में ना जाने, हम कंहा तक डूबते हैं ||
डूब करके फिर निकलने, का सदा आग्रह करो |
यत्न से कुछ तो मिलेगा, बस राह पर चलते रहो ||
मानता इस संघर्ष में, तुमको निराशा ही मिली है |
अत्यधिक श्रम से तुम्हारी रीढ़ की हड्डियाँ हिली हैं ||
चोट भी ऊपर से निरंतर,तुमको प्रतिफल में मिली है |
पर ठोकरों के बीच ही आशा की कालिका भी खिली है ||
जब कंही खुशबू मिले, तो सहम करके पांव रखो |
यत्न से कुछ तो मिलेगा ,बस राह पर चलते रहो |\
एक दिन सब कुछ तुम्हारे, पास आ करके कंहेगे |
साहसी संघर्ष - प्रिय हो, हम तुम्हारे संग रहेंगे ||
आज के संघर्ष के वे मूल्य, उस दिन ही मिलेंगे |
जब तुम्हारे रेत के, जीवन में पंकज ही खिलेंगे ||
संघर्ष ही बस मूल्य जीवन, का इसे ही याद रखो |
यत्न से कुछ तो मिलेगा, बस राह पर चलते रहो ||
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