इश्क,मुहब्बत,प्यार अगर, सब दिल के हैं अरमान |
नापाक बताकर लोग इन्हें, क्यों कर देते हैं बदनाम ||
प्रेम का प्याला पी करके, यदि प्रेमी कहलाते हैं |
एक दूसरे की पीड़ा को, मिल करके सहलाते हैं ||
आखिर जग वाले क्यों, इनके दुश्मन बन जाते |
दीवाने तो हर गम को, हंस करके यूँ सह जाते हैं ||
दीवाने तो हंसते- हँसते, पी लेते हैं सारे अपमान |
दीवाने तो हंसते- हँसते, पी लेते हैं सारे अपमान |
नापाक बताकर लोग इन्हें, क्यों कर देते बदनाम ||
पहले तो आँखों ही आँखों में, यूं होती है कुछ बातें |
ओंठों पर लाते ही उनमे, जग जाते कुछ जज्बात ||
दिल से दिल मिलते हैं ,इस परिचय के दरम्यान |
एक दूजे की काया में फिर, बस जाते उनके प्राण ||
जिस्म से जिस्म मिलाते, ही दृढ हो जाते जज्बात |
नापाक बताकर लोग इन्हें, क्यों कर देते बदनाम ||
इश्क मुहब्बत दिल के ही, कहलाते हैं आयाम |
प्रेम की इस परिणति से, कुछ अभिज्ञ नादान ||
दीवानों को भी उतना हक है, पाने को सम्मान |
प्यार खुदा का कहलाता जब, एक दूसरा नाम ||
जीवन सागर में उतरे जो, खुद बन करके पतवार |
नापाक बताकर लोग इन्हें, क्यों कर देते बदनाम ||
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