बुधवार, 29 जून 2011

यह भारत का गाँव है

झांकी मात्र यही भारत की, यह भारत का गाँव है |
कर्म जहाँ पारस कहलाता, धर्म  बना  भगवान है ||

            नारी है  देवी की  प्रतिमा,
            सब पुरुष  देव  तन धारी |
             मानव की काया मन्दिर,
             और गीता प्रभु की वाणी || 

मानव का आदर्श जहाँ पर, परमेश्वर का नाम है |
झांकी मात्र यही भारत की,यह भारत का गाँव है ||

              गंगा यमुना पावन सरिता,
              निर्झर सुधि जब बरसाती|
              पावन, पुण्य- प्रभा से वे ही, 
              मोक्ष- मार्ग  भी  दिखलाती ||

संस्कृति की संवाहक इस, गौरव का अभिमान है |
झांकी मात्र यही भारत की, यह भारत का गाँव है ||

              धर्म ,जाति और भाषा  में,
              एकता  जहाँ का  नारा  है |
              ऊच नीच के भेदभाव तजि
               मानव को मानव प्यारा है |

ऐसी  पुण्यमयी बसुधा ही, कहलाती  सुरधाम है |
झांकी मात्र यही भारत की,यह भारत का गाँव है ||

               जयकिसान की शंखनाद से ,
                नित  जहाँ  सवेरा है  होता  |
               अनेकता  में  ही एकता का,
                अब  यहीं  बसेरा  है  होता ||

जहाँ भौतिकी से आध्यात्मिक,शक्ति का संग्राम है|
झांकी मात्र यही  भारत की, यह भारत का गाँव है ||

                       हरित  क्रांति के नारे से,
                       ऐसी खुशहाली छायी है |
                       दूर हुआ दारिद्र देश का,
                       ऐसी शुभ वेला आयी है ||

सोना है इस देश की माटी, कर्म भूमि हर गाँव है|
झांकी मात्र यही भारत की,यह भारत का गाँव है||

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