झांकी मात्र यही भारत की, यह भारत का गाँव है |
कर्म जहाँ पारस कहलाता, धर्म बना भगवान है ||
नारी है देवी की प्रतिमा,
सब पुरुष देव तन धारी |
मानव की काया मन्दिर,
और गीता प्रभु की वाणी ||
मानव का आदर्श जहाँ पर, परमेश्वर का नाम है |
झांकी मात्र यही भारत की,यह भारत का गाँव है ||
गंगा यमुना पावन सरिता,
निर्झर सुधि जब बरसाती|
पावन, पुण्य- प्रभा से वे ही,
मोक्ष- मार्ग भी दिखलाती ||
संस्कृति की संवाहक इस, गौरव का अभिमान है |
झांकी मात्र यही भारत की, यह भारत का गाँव है ||
धर्म ,जाति और भाषा में,
एकता जहाँ का नारा है |
ऊच नीच के भेदभाव तजि
मानव को मानव प्यारा है |
ऐसी पुण्यमयी बसुधा ही, कहलाती सुरधाम है |
झांकी मात्र यही भारत की,यह भारत का गाँव है ||
जयकिसान की शंखनाद से ,
नित जहाँ सवेरा है होता |
अनेकता में ही एकता का,
अब यहीं बसेरा है होता ||
जहाँ भौतिकी से आध्यात्मिक,शक्ति का संग्राम है|
झांकी मात्र यही भारत की, यह भारत का गाँव है ||
हरित क्रांति के नारे से,
ऐसी खुशहाली छायी है |
दूर हुआ दारिद्र देश का,
ऐसी शुभ वेला आयी है ||
सोना है इस देश की माटी, कर्म भूमि हर गाँव है|
झांकी मात्र यही भारत की,यह भारत का गाँव है||
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