बापू नाम नहीं मानव का,
बापू युग- परिवर्तन था |
अत्याचार दमन करने को,
सत्य अहिंसा का अर्चन था ||
जब जूझ रहे थे सेनानी,
आजादी की बलिवेदी पर |
बापू ने आवाज दिया था,
क्यों हिंसा पर हो तत्पर ||
मार्ग अहिंसा का अपनाकर,
एक परीक्षण तो कर लो |
असहयोग आन्दोलन में भी ,
एक ऐसा ही सम्बल भर दो ||
बापू का सन्देश गूँज कर,
जन मन में जागृति लाया,|
साध्य नहीं बदला फिर भी,
साधन में परिवर्तन आया ||
आजादी हासिल करने का,
बापू का अनुपम अंदाज |
विश्वाश नहीं होता कैसे,
भारत को पहनाया ताज ||
युग युग तक उनका प्रयोग,
ऐसा नव परिवर्तन लाये |
राष्ट्र-ध्वजा के साथ- साथ,
बापू का यश भी लहराए ||
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