सखी रे सुन लो बात हमारी |
सजल नयन की व्यथा सुनोगी,जायेगी मति मारी |
सखी रे सुन लो बात हमारी ||
नयनों में तो जल ही जल है, अरु ओठों पर प्यास |
बुझिहै कैसे तुम्ही बताओ, तन में लागी आग ||
भूल गई हूँ हंसना अब तो , कुछ न रहा आभास |
तन-मन दोनों झुलस उठे हैं, ज्यों गर्मी में घास ||
विरह वियोग श्याम सुन्दर के,सहि सहि के अब हारी |
सखी रे सुन लो बात हमारी ||
बैरी पिय को खोजत अंखिया,ऐसी गयीं पथरायी |
सूझत नाहिं हमें पथ कोई, दृष्टि गयी बौरायी ||
उर में जो वाटिका संवारी, क्षण में गयी सुखायी |
दुर्दिन में पतझड़ के बीते, पिय आगमन सुहायी ||
कैसे वर्णन करूं सखी, यह विपदा अति भारी |
सखी रे सुन लो बात हमारी ||
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