प्रिये तुम ,जब होती हो पास !
उर उपवन में भर देती तुम ,जैसे कोई मधुमास !! जीवन की इस बगिया में छा जाता नव उल्लास !
प्रिये तुम ,जब होती हो पास !
नूपुर ध्वनि जब जब सुनता ,भावुक मन करता है नर्तन !
नेह छलकती आँखों में ही ,कर लेता हूँ तेरा प्रिय -दर्शन !!
तन मन महका देती हो तुम ,जीवन में भरती उल्लास !
प्रिये तुम ,जब होती हो पास !
साँसों में मलयानिल घुलता ,कानों में लगता कुछ कहता !
जीवन को स्पंदित करके ,प्राणों को अलि गुञ्जित करता !!
तेरी पग ध्वनि से मिलता है ,अब सुस्मृति को उच्छ्वास !
प्रिये तुम ,जब होती हो पास !
यादें मधुर मधुरतम बनती,जब भी करता तेरा गुणगान !
नख शिख रूप दृष्टिमय होकर,छलकाते कितने अरमान !!
मन उपवन में छा जाता तब ,बासन्ती स्वप्निल मधुमास !!
प्रिये तुम ,जब होती हो पास !
बैरिन पायल की रुनझुन सुन,मेरा मन नाचे मयूर बन !
चरणों की रक्तिम आभा भी,महकाता है मेरा तन मन !!
प्रेमाकुल मन को होता तब,तेरा चुपके चुपके से आभास !!
प्रिये तुम ,जब होती हो पास !
उर उपवन में भर देती तुम ,जैसे कोई मधुमास !! जीवन की इस बगिया में छा जाता नव उल्लास !
प्रिये तुम ,जब होती हो पास !
नूपुर ध्वनि जब जब सुनता ,भावुक मन करता है नर्तन !
नेह छलकती आँखों में ही ,कर लेता हूँ तेरा प्रिय -दर्शन !!
तन मन महका देती हो तुम ,जीवन में भरती उल्लास !
प्रिये तुम ,जब होती हो पास !
साँसों में मलयानिल घुलता ,कानों में लगता कुछ कहता !
जीवन को स्पंदित करके ,प्राणों को अलि गुञ्जित करता !!
तेरी पग ध्वनि से मिलता है ,अब सुस्मृति को उच्छ्वास !
प्रिये तुम ,जब होती हो पास !
यादें मधुर मधुरतम बनती,जब भी करता तेरा गुणगान !
नख शिख रूप दृष्टिमय होकर,छलकाते कितने अरमान !!
मन उपवन में छा जाता तब ,बासन्ती स्वप्निल मधुमास !!
प्रिये तुम ,जब होती हो पास !
बैरिन पायल की रुनझुन सुन,मेरा मन नाचे मयूर बन !
चरणों की रक्तिम आभा भी,महकाता है मेरा तन मन !!
प्रेमाकुल मन को होता तब,तेरा चुपके चुपके से आभास !!
प्रिये तुम ,जब होती हो पास !