अमिट- शौर्य की स्मृतियों में, भावों को नहलाया
उन भूले गीतों को वाणी, ने फिर सरस बनाया
सुख था, दुःख था, जो कुछ था, भूले- बिसरे गीतों में
आज उन्ही को ढूढ़ रहा हूँ, अपने अमिट अतीतों में
स्मृति- पथ पर बाधा सा वह स्थल याद मुझे आया
जंहा बैठ मानवता का इतिहास स्वयं को दिखलाया
आज उसी प्रतिशोधी दुःख ने,वाहन मुझे बनाया
उन भूले गीतों को वाणी, ने फिर सरस बनाया
मैं तूफानों के मध्य पड़ा, विश्वस्त जनों में था उलझा
गहरे अतीत की सतहों में, जीवन को स्थायी समझा
अब याद आ रहा गीतों का, स्वर था जो बहुत पुराना
जिस पर भावों की क्रमसंगति, को भूल गया था लाना
कल के गीतों में जो लय था,वह अमृत से फिर पाया
उन भूले गीतों को वाणी, ने फिर सरस बनाया
वही स्मरण की पगडंडी,जिसको जीवन-पथ समझा
दुनिया की हर एक राहों को, स्थिर व हितकर समझा
जीवन के गहरे तल से मैं, कुछ मोती कुछ मूँगे लाया
अपनेपन की ही चाहत में, मैंने सब को गले लगाया कदम कदम पर स्मृतियों ने, मुझको गले लगाया
उन भूले गीतों को वाणी, ने फिर सरस बनाया
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