ऐसा भी एक दीप जलाएं, ज्योतिर्मय भारत हो जाये।
जनमन में तरुणाई जागे ,
अन्धकार धरती से भागे।
फुलझड़ियों के प्रकाश से,
आह्लादों की सीमा लांघे।
घर घर खुशियां श्रृंगार करें ,ऐसी शुभ वेला ले आयें ।
ऐसा भी एक दीप जलाएं, ज्योतिर्मय भारत हो जाए ।
जाति, धर्म से ऊपर उठकर ,
ज्योति-सृजन को गले लगाएं।
अन्तर्मन के निज प्रकाश में ,
राष्ट्र -धर्म का पाठ पढ़ाएं ।
झिलमिल दीपों की ऊर्जा से,एक नया संगीत बनाएँ ।
ऐसा भी एक दीप जलाएं ,ज्योतिर्मय भारत हो जाये।
एक दीप अन्तर्मन में भी ,
जला सकें तो हितकर होगा।
भ्रष्टाचार ,द्वेष ,अनीति को ,
समूल मिटाने का प्रण होगा ।
साहचर्य भाव के ज्योति पुंज को ,ऊपर सदा उठायें।
ऐसा भी एक दीप जलाएं,ज्योतिर्मय भारत हो जाये।
अपने लक्ष्यों की पूर्ति हेतु ,
सद्पथ का अनुसरण करें।
साहचर्य भाव के संबल से ,
उन्नति का मार्ग प्रशस्त करें।
माँ लक्ष्मी का आह्वान करें,चरणों में श्रद्धा-पुष्प चढ़ाएं।
ऐसा भी एक दीप जलाएं , ज्योतिर्मय भारत हो जाये।