गुलाब अच्छे दीखते हैं और महकते भी खूब हैं |
किन्तु इतना याद रखना उनमें कांटे भी होते हैं ||
घाव तो आखिर एक दिन भर ही जाता है |
बस एक निशान ही तन पर छोड़ जाता है ||
हम तो लुटने के लिए चोर तलाशते रहे |
कुछ लोग हैं जो पहले ही शोर मचा बैठे ||
हसरतें सभी पूरी हों यह भी जरूरी नहीं |
ख्वाबों पर पहरा लगाना भी जरूरी नहीं ||
जिन्दगी जी लिया है यही क्या कम है |
यहाँ तो पग पग पर मिलते नये गम हैं ||
हम रोज मिलते रहे और गुफ्तगुं भी करते रहे |
एक दुसरे को जानने की हर कोशिशें करते रहे ||
चाँद और सितारे तक उनके कदमों में रखते रहे|
साथ साथ जीने व मरने की कसमें भी खाते रहे ||
दिल की जो कुछ बातें जुबा तक नहीं आ पाती हैं |
खामोंशियों के आईने में खुदबखुद दिख जाती हैं ||
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