गूंजे तुम्हारी विश्व में,
एकात्मता की रागिणी,|
जय राष्ट्र- भाषा भारती ||
आज हिन्दी विश्वभर की ,
भाषा में नव संचार लायी |
जन्मदात्री का भी महापद,
प्राप्त करके ही दिखलायी ||
सहस्त्र भाषा के स्वर को ,
तू गोद में निज पालती,|
जय राष्ट्र- भाषा भारती |
राष्ट्रीयता की मूर्त प्रतिमा ,
जब देश का गौरव बढाती,|
प्राचीनता का पुट संजोये,
सभ्यता को पथ दिखाती,||
पर्याय संस्कृति की बनी ,
जो आज भी है हुंकारती |
जय राष्ट्र- भाषा भारती ||
अस्त्र आजादी की तुम थी ,
कवच बनकर भी दिखायी |
कठिनतम आघात को भी ,
सहन करना तू सिखायी ||
सत्य ,अहिंसा, प्रेम- पथ,
पर स्वतंत्रता की सारथी |
जय राष्ट्र- भाषा भारती ||
नवचेतना की जाग्रति से, अखिल विश्व में छा गयी |
सर्वोच्चता के शिखर पर,
चढ़कर विजयश्री पा गयी ||
सम्पूर्ण मानव जाति तेरी,
निशिदिन उतारे आरती |
जय राष्ट्र- भाषा भारती ||
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