चाँद पर पहरा बिठाया, आसमां ने आजकल |
टिमटिमाना छोड़ बैठे हैं, सितारे आजकल ||
चांदनी गुमसुम हुई है, चाँद की खामोशी पर |
मूक चातक के नयन ,पथरा गए हैं आजकल ||
कोई हवा ऎसी सियासी, अब बह रही आजकल |
लगता किसी तूफ़ान की, आहट का है आकलन ||
सच है ग्लोबल वार्मिंग से, चाँद कुछ आह्त हुआ |
जिनकी आहों से झुलसती, चांदनी है आजकल ||
देखकर जिस चांदनी को, मन प्रफुल्लित हो रहा है |
मन की बेचैनी सिमटकर, ओंठो पर लायी है खुशी ||
आज उनको हो गया क्या, कुछ तो बतलाये कोई |
लग रहा अब चाँद सूरज, बन गया है आजकल ||
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