मातु वरदायिनी ऐसा वरदान दो लोक मंगलमयी सर्जना कर सकू 1
शुद्ध अंतःकरण .मन प्रफुल्लित रहे
बुद्धि और भावना में समन्वय बने
विघ्न बाधाओं पर हम नियंत्रण करे
लोभ के संवरण अब हमें न छले
मोहमाया से जीवन प्रभावित न हो ,सिर्फ सदवृत्तिका अनुगमन कर सकूँ 1
मातु वरदायिनी ऐसा वरदान दो लोक मंगलमयी सर्जना कर सकू 11
मातु इतना तो सामर्थ्य मुझमे भरो
दीनदुखियों की सेवा मैं करता रहूँ
मन अहंकार से निष्प्रभावित रहे
लोकहित के लिए साधनारत रहूँ
असतो माँ सदगमयके महामंत्र से ,विश्व कल्याण की कमाना कर सकूँ 1
मातु वरदायिनी ऐसा वरदान दो लोक मंगलमयी सर्जना कर सकू 11
छल व दुर्भावना दूर हमसे रहे
ऐसा वातावरण माँ हमेशा मिले
दृष्टि में प्रेम हो पैर प्रलोभन नहीं
छाँव अमराईयों की हमें न छलें
लेखनी को समृद्धी मिलती रहे ताकि तेरा ही गुणगान करता रहूँ 1
मातु वरदायिनी ऐसा वरदान दो लोक मंगलमयी सर्जना कर सकू 11
प्रेम से छलछलाता ह्रदय दो हमें
वाणी में सौम्यता स्वर सरस दो हमें
आचरण में प्रदर्शन न आये कभी
ऐसे वरदान से धन्य कर दो हमें
भाव- संवेदनापूर्ण सत्कार्य से 'अपने जीवन को मैं सार्थक कर सकूँ 1
मातु वरदायिनी ऐसा वरदान दो लोक मंगलमयी सर्जना कर सकू 11
वक्त पर दूसरों के कम आ सकूँ
मातु इतना ही सामर्थ्य देना हमें
जिन्दगी में निराशा न आये कभी
सिर्फ खुशियों का वरदान देना हमें
कर्म से आत्मसंतोष मिलता रहे, अंत में आपकी ही शरण पा सकूँ 1
मातु वरदायिनी ऐसा वरदान दो लोक मंगलमयी सर्जना कर सकू 11
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