जाग हिंद के सपूत, यदि वतन से प्यार हो|
तुम्ही महान देश के, महान कर्णधार हो ||
बढाये जा कदम सदा
लक्ष्य जब महान है |
तुम्हारे साथ सैकड़ों
जब लोग तेरे साथ हैं ||
याद कर एकला चलो
बापू की आवाज को |
स्वयं चलो तब कहीं
हमसफर को साथ लो ||
पाँव रुके ना कभी, यदि खड़ा पहाड़ हो |
तुम्ही महान देश के, महान कर्णधार हो ||
मानता हूँ देश अब
आजाद शक्तिमान है |
पर अभी दासता का
हुआ नही अवसान है ||
देख लो तुम आज भी
कुछ खड़े मुंह फाड़कर |
खुद बचो व बचाओ भी
ले करके उन्हें दांव पर ||
याद रख तू किसी पर, इस तरह न भार हो |
तुम्ही महान देश के, महान कर्णधार हो ||
खिल गये चमन तो क्या
अब कार्य ख्त्म हो गये |
प्रतिफल अभी शेष है
मदहोश क्यों सो गये ||
श्रम न जाये व्यर्थ, इसका तुम्हें ध्यान हो |
तुम्ही महान देश के, महान कर्णधार हो ||
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें