प्रभू एक बार ऐसा करिश्मा दिखाइये |
सचमुच मुझे भी देश का नेता बनाइये ||
बचपन से ही नेताओं की मूर्ति बना बनाकर |
ना जाने कितने फ्रेमों से कमरे को सजाया||
पढ़ करके किताबों में उनके ही करिश्मे को |
मैंने भी अपने जीवन का यह लक्ष्य बनाया ||
ना जाने कितने छात्रसंघ के चुनाव लड़कर |
विजयी भी हुए हैं गर्व से सम्मान पाया है ||
हमेशा प्रथम श्रेणी मुझे मिलती चली गयी |
पढाई में अधिक ध्यान कभी न लगाया है ||
पढ़कर हुए हैं तैयार अब मार्ग दिखाइये |
सचमुच मुझे भी देश का नेता बनाइये ||
जब से टूटा है छात्र--जीवन से सम्बन्ध |
दर- दर भटक रहें हैं कहीं चैन न मिला ||
प्रतियोगी परीक्षाओं में कई बार बैठकर|
किस्मत लड़ाया पर कोई द्वार न मिला ||
हमेशा यही उत्तर मिलता रहा मुझको |
सर्विस के लिए नेता का सोर्स लगाओ||
लाचार उनके पास जब जब भी गये हम |
वह बोले हैं दक्षिणा इधर सप्रेम बढाओ ||
कैसे हो पूर्ण कामना प्रभु आप बताइए |
सचमुच मुझे भी देश का नेता बनाइये ||
जब ठोकरें खायी बहुत तो मार्ग यह मिला |
एक मित्र के संग में ठेके का काम संभाला ||
नहर सडक व पुल की ठेकेदारी से भी हम |
लखपती बन गये तब एक मार्ग निकाला ||
पैसा तो है इस क्षेत्र में मेहनत के दांव पर |
इज्जत नहीं कुछ भी लोग ठेकेदार ही कहें ||
पीछे दौड़े जब अधिकारी के रात दिन हम |
कमीशन दें उनको और फिर तेवर भी सहें ||
जीवन में कोई ऐसा नया मोड़ लाइये |
सचमुच मुझे भी देश का नेता बनाइये ||
सोचता हूँ क्यों न अब मैं नेता ही बन जाऊं |
अपना भी भाग्य जगाकर औरों का जगाऊँ ||
किस्मत से अगर दांव पेंच सही हुआ तब तो |
मंत्री बनूंगा और कोई बड़ा करिश्मा दिखाऊँ ||
देश भक्त का भी वह सम्मान मिलेगा तब |
रातों ही रात कोई ऐसी योजना बनाऊंगा ||
शासन की बागडोर जब हाथों में थामकर |
क्षेत्र की जनता का भी रहनुमा कहाऊंगा ||
लोगों से कहूँगा मुझे भी तो आजमाइए |
सचमुच मुझे भी देश का नेता बनाइये ||
हर पांच वर्ष पर चुनावी- घोषणा लिए |
सीना फुलाकर क्षेत्र में जब पाँव रखूंगा ||
स्वागत करेगी जनता लिए फूल मालाएं |
सगर्व मुस्कराकर उन्हें धन्यवाद कहूंगा ||
पढ़कर सुनाऊंगा उन्हें मैं चुनावी घोषणा|
बेरोजगारी भुखमरी को पहले दूर करूंगा ||
गाँवों की उन्नति से ही देश का विकास है|
आगामी योजना में यह प्राविधान रखूंगा ||
सबसे पहले मुझको तो विजयी बनाइये |
सचमुच मुझे भी देश का नेता बनाइये ||
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