रविवार, 24 जुलाई 2011

प्रतीक्षा

उतरना तुम कभी पलकों पर, तज कर सेज ख़्वाबों की|
                मुझे आवाज दे देना---- मुझे आवाज दे देना ||

तुम्हारे अंग अंग की खुशबू, हमारी ही विरासत है |
अदाएं इश्क की भी सारी,लग रहीं जैसे इबादत हैं||
तुम्हारी ही प्रतीक्षा में, अब, बहारों की इनायत  है |
तुम्हारे मुस्कराहट पर,फिसलने की जो आदत है||
   
गुजरना जब कभी उन तक,अहमियत ले बहारों की |
              मुझे आवाज दे देना---- मुझे आवाज दे देना ||

निगाहें  इस  तरह  मेरी, एकटक हैं  देखती उनको |
कोई  शबनम  ढुलककर,अभी ही जैसे हो फिसली ||
भ्रमर  मदहोश हो करके, भुला  बैठा है अपने  को |
पुष्प रज त्याग बैठी है, ना जाने कब से ये तितली||

तुम्हारे पायलों की ध्वनि, तोड़े नींद जब उनकी | 
       मुझे आवाज दे देना---- मुझे आवाज दे देना ||

मार्ग बिलकुल नया पाया, अपनी जिन्दगी का यह|
गुजर काँटों से फूलों तक, सफर भी तो नया होगा ||
कभी ओले पड़ेंगे और  फिर, कभी अंगार बरसेंगे |
मानता हूँ यह सब तुम, अभी तक ना सहा होगा || 

जरूरत जब कभी समझें, किन्हीं अनजान बाँहों की |
         मुझे आवाज दे देना---- मुझे आवाज दे देना ||




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें