खुदा जाने क्या क्या सितम अब सहेंगे ,
इस नफरत की दुनिया में हम कैसे रहेंगे |
जमीं आसमां सभी सुर्ख लग रहा है ,
अँधेरे में जुगनू का डर सा लग रहा है |
बिना बादलों की यह बरसात कैसी है ,
मुझे कोई साजिश का शक हो रहा है||
हम अपने ही साये से कब तक डरेंगे,
इस नफरत की दुनिया में हम कैसे रहेंगे |
अभी तक जो अपने थे अब पराये हुए,
इस जमाने को आखिर क्या हो गया है|
खामोश दिल की वह धड़कन कहाँ तक,
बयाँ कर सकेगी अब डर लग रहा है||
अब अलगाव के तूफ़ान कब तक बहेंगे,
इस नफरत की दुनिया में हम कैसे रहेंगे|
एक साथ चलना, हंसना मुनासिब नहीं है,
सरहद की रक्षा जो करते हैं संग संग |
मंदिर या मस्जिद की नफरत बढाकर,
तैय्यार करते हैं क्यों एक नया जंग||
हम गुमराह हो कब तक लड़ लड़ मरेंगे,
इस नफरत की दुनिया में हम कैसे रहेंगे|
इस नफरत की दुनिया में हम कैसे रहेंगे |
जमीं आसमां सभी सुर्ख लग रहा है ,
अँधेरे में जुगनू का डर सा लग रहा है |
बिना बादलों की यह बरसात कैसी है ,
मुझे कोई साजिश का शक हो रहा है||
हम अपने ही साये से कब तक डरेंगे,
इस नफरत की दुनिया में हम कैसे रहेंगे |
अभी तक जो अपने थे अब पराये हुए,
इस जमाने को आखिर क्या हो गया है|
खामोश दिल की वह धड़कन कहाँ तक,
बयाँ कर सकेगी अब डर लग रहा है||
अब अलगाव के तूफ़ान कब तक बहेंगे,
इस नफरत की दुनिया में हम कैसे रहेंगे|
एक साथ चलना, हंसना मुनासिब नहीं है,
सरहद की रक्षा जो करते हैं संग संग |
मंदिर या मस्जिद की नफरत बढाकर,
तैय्यार करते हैं क्यों एक नया जंग||
हम गुमराह हो कब तक लड़ लड़ मरेंगे,
इस नफरत की दुनिया में हम कैसे रहेंगे|
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