शनिवार, 16 जुलाई 2011

मील का पत्थर

आस्था के
अधुनातन आयामों में
बदलना होगा दृष्टिकोण
परम्परागत परिभाषाओं के
संकीर्णता से जकड़े
स्वार्थ से बजबजाते
रूदवादिता के पोखरे में
अब कषैले पानी से
एक बू आने लगी है
नए दृष्टिकोण की
मूसलाधार बरसात
कदाचित इस प्रदूषण को
बहा सकेगा
एक नयी अर्थवत्ता
जो इक्कीसवीं सदी के
मील का पत्थर बन सकेगा

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