मंगलमय नूतन वर्ष तुम्हे,
मंगलमय जीवन का पथ हो |
निर्विघ्न रहे वह मार्ग सदा ,
जिस पर तेरे उन्नत पग हों ||१||
पावस ऋतु सी मनोकामना,
सौरभ बनकर जब महक उठे |
तब जीवन का नव विकास,
पाकर बसंत मन चहक उठे ||२||
नये वर्ष के नूतन प्रभात में,
चमके आशा की नई किरण |
चमके आशा की नई किरण |
स्नेह- सुधा से अभिसिंचित ,
लहराए जीवन का उपवन ||३||
लहराए जीवन का उपवन ||३||
नव प्रभात की नव किरणें,
उन्नति के लायें नव सन्देश |
सुख व संवृद्धि के आगमन से,
अब चहक उठे सारा परिवेश||४||
सर्वोन्नति का यह दिव्य भाव,
जब तन मन का उल्लास बने|
मेरे गीतों का यह अभिनन्दन,
अब जीवन का ऋतुराज बने ||५||
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें