सर्वोच्च हिमालय से सीखें ,
निज मस्तक ऊंचा रखना |
घन पुंजों से हमसब सीखें ,
सदा मधुरतम रस भरना ||१||
सुमनों से हंसना सीखेंगे ,
अरु कलियों सा मुस्काना |
मधुप वृन्द से हम सीखेंगे,
मधुर मधुर स्वर में गाना |२||
वीर शहीदों से सीखें हम ,
अपने कर्तव्य निभाना |
दीपक की लौ से सीखेंगे ,
चहुँदिशि प्रकाश फैलाना ||३||
झरनों से सहनशीलता सीखें ,
रवि-किरणों से लें नवजीवन |
चन्दा से शीतलता ले करके ,
करें सदगुणों का अनुशीलन ||४||
स्वाभिमान प्राणों से आगे,
रखकर है अब आगे बढ़ना |
मातृभूमि का रक्षक बनकर ,
जीवन को सार्थक है करना ||५||
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