प्रश्न
क्या आप बतायेंगे ---
उन करोड़ों श्रमिकों की ,
करुण कथा को,
जिनका संघर्ष ही जीवन है |
और मृत्यु मुक्ति का द्वार|
प्रताड़ना एक परम्परा हो -
और विवशता उनकी ख़ामोशी|
पीठों से चिपके पेटों की,
सिर्फ भूख ही समस्या हो |
किंचित विश्राम ही,
जिनका महोत्सव हो |
सम्पूर्ण धरती---
जिनका कर्मक्षेत्र हो |
ऐसी कहानी कब तक सुनोगे |
यह दृश्य कब तक देखोगे |
कुछ तो कहो ---
शायद आपके कथन से ,
उनके आंसू सूख जाएँ-
और अनुत्तरित प्रश्न हल हो जाएँ|
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