परम सौभाग्य से मिलता,
पुरा संस्कृति का परिवेश |
मूकसम्प्रेषण की ध्वनि से ,
स्वयं ही देते कोई सन्देश ||
देव संस्कृति संजोये ऐसे जो ,
खण्डहरों के चिर अवशेष |
आज भी मुखरित हो उठते,
सुनाकर गौरवमय सन्देश ||
निरख खण्डहरों के अवशेष,
कोई प्रतिध्वनि गूंजी अज्ञात |
तपस्वी ऋषियों की वह भूमि,
दिखा बैठी अपना इतिहास ||
कोटि वृक्षों से वह घिरा हुआ,
बीच में अविरल सरित प्रवाह |
विविध पशु पक्षी से मुखरित,
छोड़ता अपना अमिट प्रभाव ||
देखते रहते उनको अनिमेष,
जिज्ञाषा लेती किंचित विश्राम |
मन्दिरों से अभिमंडित भू-भाग,
कोटिशः तुझको मेरा प्रणाम ||
परम सौभाग्य से मिलता,
जवाब देंहटाएंपुरा संस्कृति का परिवेश |
...sach hai!! :)
Saadar..