रविवार, 7 अगस्त 2011

कविता

कविता------
संस्कृति के पुनीत पर्व पर,
भाषा का उत्सव बनकर|
अभिव्यक्ति की उत्कृष्टता से,
मानवीय कृतित्व को--
मूल्यांकित करती है |
आत्माभिव्यक्ति की--
इस त्रिवेणी में,
डुबकी लगाकर,
मानवता -------- 
सदैव कृतकृत्य होती रही |
युगीन सन्दर्भों में ,
अब कविता ;
जीवन का----
सहज अर्थबोध लेकर,
अवतरित हो रही है |
मानवीय मूल्यों को,
पुन: परिभाषित करने के लिए |

3 टिप्‍पणियां:

  1. बिल्कुल ठीक कहा आपने...कविता हमेशा से अभिव्यक्ति का उत्कृष्ट साधन रही है और रहेगी..फिर चाहे इसकी जिम्मेदारी मन के उद्दगार ही व्यक्त करना हो या जटिल मानव मूल्यों की परिभाषा करना..

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  3. डर कविता अति सुन्दर है इसके लिए बहुत बहुत धन्यबाद|

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