छलक पड़ा जिनके पौरुष से ,
देश भक्ति का यह राष्ट्र कलश |
उन अमर शहीदों की स्मृतियाँ
लेकर आया बलिदान- दिवस ||
जिस आहुति के प्रतिफल में ही ,
यह भारत स्वतंत्र कहलाया है |
पन्द्रह अगस्त छब्बीस जनवरी,
राष्टीय-पर्व बन कर आया है ||
स्वतन्त्रता का जो प्रतीक ध्वज,
भारत माँ का गौरव कहलाया |
सदियों का इतिहास सिमटकर,
मुक्त गगन में जब है फहराया ||
नवजागृति का यह पावन दिन,
जब जीवन का गौरव बन जाये |
जब जीवन का गौरव बन जाये |
लेकर संकल्प स्वदेश- हित में ,
हम जीवन धारा को सदा बहायें ||
कण कण का उन्माद मिटाकर ,
ज्योति सृजन को गले लगाए |
अहँकार ईर्ष्या को भी हम सब ,
निज जीवन से अब दूर भगाएं ||
स्वतन्त्रता का पुण्य दिवस यह,
आया अब हमको यह बतलाने|
सावधान अब वक्त आ गया है ,
नव जागृति का संदेश सुनाने ||
शत शत प्रणाम की श्रद्धान्जली,
अब संकल्पों को देगा यह वर |
वीर शहीदों की भाव भूमि पर,
अब सत्य अहिंसा का गूजे स्वर ||
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