शुक्रवार, 5 अगस्त 2011

श्रृंखला: प्रभात

श्रृंखला: प्रभात: "रात भर रोती रही क्यों, रजनी दिवाकर के प्रणय में | सोचती थी प्रिय मिलन की,आस क्यों है दूर मग में || थी गिराती अश्रु-जल जब, त्याग करके धैर..."

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