यह बसन्त ----
बस अन्त शरद का
अथवा अन्त ------
जीर्ण पीत तरु पत्रों का |
सरसों अभी फूली नहीं ;
अरहर भी झनझनाई नहीं |
शरद की अकड ,
अभी खत्म हुई नहीं |
आ गये ऋतुराज |
कू कू करती कोयल ,
फुदकने लगी डालों पर |
उपवन में तैरनी लगी-
मादक सुरभि;
कौतूहल ने सिर उठाया |
बासन्ती घूँघट डालकर -
चल पड़ी पोखर को |
कहने लगीं सखियाँ,
कब होगा अन्त ;
अब इस शरद का |
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