शनिवार, 10 दिसंबर 2011

भग्नावशेष

अद्यतन विलसित भग्नावशेष ,
प्राच्य भारतीय संस्कृति की
गौरवशाली अमूल्य धरोहर है |
इनमें प्रतिस्थापित ;
अभिराम मूर्तियों में ,
तत्कालीन मानव जीवन -
विविध संधियों में मुखरित होकर ,
बिखरता सा लग रहा है |
सभ्यता का यह प्रतिबिम्ब ,
मानवेतर जीवन को --
प्रतीकात्मकता के रंग में ,
जीवन्त कर रहा है |
लगता है ये सभी प्रतीक ,
पार्थिव धरातल /प्रस्तरीय प्रक्रिया से ,
बहुत ऊपर उठकर ,
मनस और मानस की ;
प्रतिष्ठा करती हुई -
इनमें किसी आत्मा का 
प्रवेश करा रहीं हैं |
काश  ;इनकी परिणति को ,
हम भी आत्मसात कर पाते |
कला की इस श्रृखला को
पुन:धरती पर ले आते |
अमूर्त आत्मीयता की 
यह भावना मूर्तिमान हो जाती |
तब परिचय की जिज्ञाषा ,
स्वत : शान्त हो जाती |                                 


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