शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017

मेरा अतीत

मैं तो 
उन गरीब मजदूरों के 
नंगे पैरों का वह छाला हूँ,
जिसने अपना तन छेदकर ,
उन मरुस्थलों की
 प्यास बुझाई है। 
 और अब मैं  ----
गहरे स्याल समुन्दर की ,
सघन सतहों से ,
मधुर यादों के ---
श्वेत मोती चुन रहा हूँ। 
मेरा अतीत क्या ---?
सचमुच में ,
एक टूटी हुई माला है।

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