मैं तो
उन गरीब मजदूरों के
नंगे पैरों का वह छाला हूँ,
जिसने अपना तन छेदकर ,
उन मरुस्थलों की
प्यास बुझाई है।
और अब मैं ----
गहरे स्याल समुन्दर की ,
सघन सतहों से ,
मधुर यादों के ---
श्वेत मोती चुन रहा हूँ।
मेरा अतीत क्या ---?
सचमुच में ,
एक टूटी हुई माला है।
उन गरीब मजदूरों के
नंगे पैरों का वह छाला हूँ,
जिसने अपना तन छेदकर ,
उन मरुस्थलों की
प्यास बुझाई है।
और अब मैं ----
गहरे स्याल समुन्दर की ,
सघन सतहों से ,
मधुर यादों के ---
श्वेत मोती चुन रहा हूँ।
मेरा अतीत क्या ---?
सचमुच में ,
एक टूटी हुई माला है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें