शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017

नूतनवर्षाभिनन्दन

मङ्गलमय हो नूतन वर्ष तुम्हें ,
मङ्गलमय जीवन का पथ हो। 
निर्विघ्न रहे वह मार्ग सदा ही ,
जिस पर तेरे  उन्नत  पग हों। १.. 

पावस ऋतु बन  मनोकमना,
सौरभ बन जब महक उठें ,
तब जीवन का नव विकास 
पाकर बसंत खिलखिला उठे। २.. 

नववर्ष के अभिनव प्रभात में ,
नवजीवन का संकल्प लिए।
मन पतझड़ के नव अंकुर 
पा वायुवेग अब सिहर उठें। ३.. 
 
सर्वोन्नति का यह दिव्य भाव ,
तनमन का उल्लास बनेगा ,
मेरे गीतों का यह नया वर्ष,
 जीवन का ऋतुराज बनेगा। ४..  

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