विरासत में मिलते हैं रिश्ते
मित्रता नहीं।
मित्र तो हम स्वयं चुनते हैं।
अपनी इच्छाओं के अनुरूप।
सुख -दुःख का सहभागी
एकमात्र हमसफ़र।
मित्र ही है जिसे
अपनी व्यथा सुनाकर
निश्चिन्त हो लेते हैं।
जब कभी भी तुषाराघात
होता है मैत्री पर ,
संकट के बादल घिरते हैं।
बिजली भी चमकती है।
तभी किसी अनहोनी
का आगमन होता है।
हर सम्भव कोशिश कर
मित्र को ही मित्र बनाये रखना
हमारा एकमात्र उद्देश्य हो ,
तभी मित्रता हमारे लिए
वरदान सिद्ध हो सकती है।
मित्रता नहीं।
मित्र तो हम स्वयं चुनते हैं।
अपनी इच्छाओं के अनुरूप।
सुख -दुःख का सहभागी
एकमात्र हमसफ़र।
मित्र ही है जिसे
अपनी व्यथा सुनाकर
निश्चिन्त हो लेते हैं।
जब कभी भी तुषाराघात
होता है मैत्री पर ,
संकट के बादल घिरते हैं।
बिजली भी चमकती है।
तभी किसी अनहोनी
का आगमन होता है।
हर सम्भव कोशिश कर
मित्र को ही मित्र बनाये रखना
हमारा एकमात्र उद्देश्य हो ,
तभी मित्रता हमारे लिए
वरदान सिद्ध हो सकती है।
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