मंगलवार, 7 मार्च 2017

अलविदा मत कहो

गीत मेरे अधूरे हैं ,सचमुच अभीतक  ,
स्वर बनो तुम,  मैं शब्द बन जाऊँगा। 
मन तेरा राधिका, बन सके तो कहो ,
मैं तुम्हारा ही, घनश्याम कहलाऊँगा। 

  वंशी बनकर अधर, पर शयन कर सको ,
   प्रेम -सुधि खुद, हृदय में समा  जायेगी।
  प्रीति की रीति यह , कोई  पहेली नहीं  ,
  सारी  दुनिया ही, वृजधाम बन जायेगी।

जब से सुन्दर दिखा, मन तुम्हारा मुझे ,
चाहत बढ़ने लगी, जीत लूँ मन तेरा। 
आपकी मुस्कराहट, पर फिसल तभी ,
खो गया आपकी, प्रीति  में मन मेरा।

 एक गुजारिश मेरी, आपसे बस यही 
 गीतों में मेरे अपने, मधुर स्वर भरो।
तेरी यादों के संग संग, ही जी लूंगा मैं,
 मेर गीतों को तुम, अलविदा मत कहो।  

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