समय का अविरल प्रवाह
पर्वतों,झरनों व नदियों की ,
कभी भी परवाह नहीं करता।
बल्कि अपने प्रभावी हथौड़े से
इन्हें अनवरत तरासता रहता है।
यहां तक कि
प्रबुद्ध मानव भी ,
इस अपरिमेय प्रतिमान को,
बदल नहीं सका।
रात के बाद दिन,
दिन के बाद रात।
प्रकृति का यह शाश्वत नियम
जन्म और मृत्यु की तरह,
अनवरत क्रियाशील है।
घडी के काँटों ने
सिर्फ इसे माप पाया है
और ज्ञान की परिधि में,
इसे ले आया है।
समय अनवरत गतिशील है।
तभी तो हर वस्तु में -
गति का साहचर्य प्रगति को-
सार्थक बना रहा है।
साथ ही समय को,
मूल्यवान बता रहा है।
पर्वतों,झरनों व नदियों की ,
कभी भी परवाह नहीं करता।
बल्कि अपने प्रभावी हथौड़े से
इन्हें अनवरत तरासता रहता है।
यहां तक कि
प्रबुद्ध मानव भी ,
इस अपरिमेय प्रतिमान को,
बदल नहीं सका।
रात के बाद दिन,
दिन के बाद रात।
प्रकृति का यह शाश्वत नियम
जन्म और मृत्यु की तरह,
अनवरत क्रियाशील है।
घडी के काँटों ने
सिर्फ इसे माप पाया है
और ज्ञान की परिधि में,
इसे ले आया है।
समय अनवरत गतिशील है।
तभी तो हर वस्तु में -
गति का साहचर्य प्रगति को-
सार्थक बना रहा है।
साथ ही समय को,
मूल्यवान बता रहा है।
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