मां तुम तो जीवनदात्री मेरी ,
अस्तित्व मेरा तुझसे ही मां ।
पैरों पर चलाया हाथ पकड़,
जीवन जीना सिखलाया मां।
निशिदिन गोद लिए फिरती ,
एहसास मुझे होता था मां।
उससे ज्यादा एहसास है अब,
जबसे तुमसे दूर हुआ मां।
माता को कुमाता सुना नहीं,
पर पुत्र, कुपुत्र सुना हमने।
मां के नयनों में तो बसते हैं ,
निज पुत्रों के स्वर्णिम सपने।
तुम तो माता कहलायी हो,
पर मैं सुपुत्र बन सका कहाँ ?
अब कालचक्र के वशीभूत हो ,
मैं तुझको दर- दर खोज रहा।
तुमने हँसना सिखलाया था,
विधि ने वह हँसी छीन ली मां।
एहसासों का एक द्वार खोलकर ,
कर रहा प्रतीक्षा अब तेरी मां।
अस्तित्व मेरा तुझसे ही मां ।
पैरों पर चलाया हाथ पकड़,
जीवन जीना सिखलाया मां।
निशिदिन गोद लिए फिरती ,
एहसास मुझे होता था मां।
उससे ज्यादा एहसास है अब,
जबसे तुमसे दूर हुआ मां।
माता को कुमाता सुना नहीं,
पर पुत्र, कुपुत्र सुना हमने।
मां के नयनों में तो बसते हैं ,
निज पुत्रों के स्वर्णिम सपने।
तुम तो माता कहलायी हो,
पर मैं सुपुत्र बन सका कहाँ ?
अब कालचक्र के वशीभूत हो ,
मैं तुझको दर- दर खोज रहा।
तुमने हँसना सिखलाया था,
विधि ने वह हँसी छीन ली मां।
एहसासों का एक द्वार खोलकर ,
कर रहा प्रतीक्षा अब तेरी मां।
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